Saturday, March 3

इल्तज़ा


उनको चाहना, एक आदत हो चली है,
यादों की महक, एक इबादत हो चली है,
उनका करीब आना ही, रूह को महका गया है,
कुछ पलों का साथ, आबाद कर गया है,

करीब आने की, एक गहरी ख्वाइश जाग उठी है,
तुमको तुम्ही से चुराने की, तमन्ना जाग उठी है,
रूबरू हों जल्द ही, यह आरजू करते हैं...
ख्वाबों की इस कश्ती को साहिल तक लाने की इल्तजा करते हैं...

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