Monday, November 25

कैसे??



रूठ कर हमसे सासें ले पाओगे कैसे?
खफा हो हमसे मुस्कुरा पाओगे कैसे?
साज़-ए-दिल के तार जुड़े हैं जन्मों से 
मोहब्बत की ये नज़्म अनसुनी कर पाओगे कैसे?

लफ़्ज़ों से ख़्वाबों को हासिल कर पाओगे कैसे? 
तड़प कर आरज़ूओं की ताबीर कर पाओगे कैसे?
अहल-ए-दिल है इस क़दर एक दूजे में
बज़्म-ए-उल्फत में खुद को तन्हा पाओगे कैसे?

तन्हाई का दामन थामे क़ज़ा तक चल पाओगे कैसे?
बेपनाह मोहब्बत कर हमसे गैरों के हो पाओगे कैसे?
हमकदम रहे हैं यूँ हम तुम बरसों से  
ज़र्रा ज़र्रा अरमानों को ले राह-ए-दहर पर चल पाओगे कैसे?  

चाँद तारों को पाने की ख्वाइश पूरी कर पाओगे कैसे?
फलक पर जहाँ बसाने की आरज़ू को अंजाम दे पाओगे कैसे? 
उस नैरंग-ए-सहर का इंतज़ार रहेगा हमें  
खुशीयों का सुर्ख दामन इस जन्म में ओढ़ा पाओगे कैसे? 





साज़-ए-दिल = Instrument of the Heart
नज़्म = Song
ताबीर = Completion, Realization
अहल-ए-दिल = Resident of Heart
बज़्म-ए-उल्फत = Gathering of Love
क़ज़ा = Death
ज़र्रा ज़र्रा = Small Particles
राह-ए-दहर = Path of Life 
फलक - Sky 
नैरंग-ए-सहर = Magical Morning
सुर्ख दामन = Red Dress 

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