Tuesday, April 30

साये


कल रात हुए रूबरू इन पलकों से  
कुछ अपने, तो कुछ उनके साये  

कुछ झुलसाती धूप के ठन्डे
तो कुछ सर्द किरणों के आतिशीं साये
कुछ संग चलते तन्हा 
तो कुछ हमसफर बने बेगाने साये

कुछ छोटी लंबी बातों के
तो कुछ जज़्बातों के साये
कुछ उनकी यादों के
तो कुछ हमारे ख़्वाबों के साये

कुछ मिलते हुए 
तो कुछ जुदा होते साये 
कुछ जुड़ते हुए
तो कुछ बिखरते साये

कुछ हमदमी के
तो कुछ अघ्यार साये
कुछ मोहब्बतों के 
तो कुछ नफरतों के साये

कुछ लरजते
तो कुछ थिरकते साये 
कुछ महकते
तो कुछ घलीज़ साये 

कुछ मुस्कुराहटों के
तो कुछ अश्कों के साये
कुछ खुशीयों के रंगीन
तो कुछ ग़मों के स्याह साये

कुछ लकीरों के
तो कुछ कर्मों के साये
कुछ तजुर्बों के संजीदा
तो कुछ पोशीदा से साये

कुछ क़त्ल करते
तो कुछ कुर्बान होते साये
कुछ हमसे जन्मे
तो कुछ हमें जनते साये

कल रात हुए रूबरू इन पलकों से
कुछ अपने, तो कुछ उनके साये 


आतिशीं = Fiery
जज़्बातों = Emotions
हमदमी = Friendship
अघ्यार = Stranger, Enemy
घलीज़ = Filthy
तजुर्बों = Experience
संजीदा = Serious
पोशीदा = Secretive


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