Sunday, February 12

सिहरन


उनके आने की आहट ज्यों हुई...
दिल धड़का और पलके झुकी...
रोम रोम रूमानी कर जाती ...
तन में जगी वोह हसीन सिहरन ...

उनके हाथों की वो छुअन...
हाथों से हाथों का तराशना...
एक तृष्णा सी जगा जाती ...
उँगलियों की वो थिरकती सिहरन...

एक लय में लहर उठती है...
जब सुर ताल से मिल जाते है ..
होंठों को नम कर जाती ...
गर्म साँसों की वो दहकती सिहरन ...

एक होते उन पलों की सोचें ...
तो न दिल कुछ कहे न मन ...
बस एक हसीन मंज़र दिखा जाती ...
चाहत की वो रूमानी सिहरन...

मन हिडोले लेता है...
अंग अंग उठती है एक तरंग...
नम आँखें भी ज्वलित हो जाती...
साँसों में बजती मृदंग सी वो सिहरन...

इश्क है या सिर्फ एक आभास ...
एक पल, एक युग का ...
इन्द्रधनुषी एहसास करा जाती ...
जलती बुझती नम होती सिहरन ...

... हर एक लम्हे में सिमटी कई लहरों सी वो रूमानी सिहरन ...

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