Monday, July 5

एक कमी

कुछ बिखरे हुए सपनों से आँखों में नमी सी है...
आशाओं का आसमां और उम्मीदों की छोटी सी ज़मीन है...
यूँ तो बहुत कुछ है ज़िन्दगी में...
सिर्फ एक प्यार करने वाले की कमी सी है...

अब तो इंतज़ार की आदत सी हो चली है...
ज़िन्दगी में ख़ामोशी एक चाहत हो चली है...
न कोई शिकवा है न शिकायत किसी से...
अब अपनी ही तन्हाई से मोहब्बत से जो हो चली है...