Thursday, August 12

अर्ज़ किया है ...



कोई हम-नफ्स, कोई राजदान नहीं है...
फक्त एक दिल था अपना, वोह भी अब मेहरबान नहीं है...
इश्क है बे-इन्तेहाँ मगर, इतना ज्यादा भी नहीं है...
के फना हों तेरे गम में, यह इरादा भी नहीं है...
राह के इन पथ्थरों पर चल कर आ सको तो आओ...
चूँकि हमारे गलियारों में कहीं कहकशां नहीं है...
देखा करते हैं फिर भी हम सितारों की तरफ क्यों...
इल्म है जब उनसे मुलाकात का कोई वादा भी तो नहीं है...



Monday, July 5

एक कमी

कुछ बिखरे हुए सपनों से आँखों में नमी सी है...
आशाओं का आसमां और उम्मीदों की छोटी सी ज़मीन है...
यूँ तो बहुत कुछ है ज़िन्दगी में...
सिर्फ एक प्यार करने वाले की कमी सी है...

अब तो इंतज़ार की आदत सी हो चली है...
ज़िन्दगी में ख़ामोशी एक चाहत हो चली है...
न कोई शिकवा है न शिकायत किसी से...
अब अपनी ही तन्हाई से मोहब्बत से जो हो चली है...