Thursday, December 27

बज़्म



लम्हा लम्हा विसाल-ए-यार की आरज़ू करते रहे हम

पल पल उन्हें आगोश में लेने की ख्वाइश करते रहे हम
अहद-ए-गुज़िश्ता की याद-ए-गिर्दाब में ख्वाबिदा हो 
झिझकती हुई निगाहों से उन्हें घर्क-ए-ज़हन करते रहे हम


रह रह चश्म-ए-नम से छलकती शरारत को संजोते रहे हम 
एक एक नफ्स पर उनके लफ़्ज़ों से नगमें सजाते रहे हम 
नज़रों से नज़रें जो मिली आज उनसे उन्हीं के दर पर
लरज़ते अधरों से नज़्म-ए-मोहब्बत गुनगुनाते रहे हम 


रुक रुक कर हौले से हर कदम दायरे उलांघते रहे हम 
हौले हौले सुर्ख होते रुखसार को हिजाब ओढाते रहे हम
झुकी पलकों से पोशीदा दिल-सोज़ अरमानों की झलक देख 
जूनून-ए-बज़्म-ए-जज़्बात में तहलील होते रहे हम





विसाल-ए-यार = Meeting with a lover 
रफ्ता = Slowly
घर्क-ए-ज़ेहन = Absorb in self
नफ्स = Breath
अहद-ए-गुज़िश्ता = Bygone Days
याद-ए-गिर्दाब = Whirlpool of memories
लरज़ते =Trembling
अधरों = Lips 
नज़्म-ए-मोहब्बत = Song of Love
रुखसार = Cheeks
पोशीदा = Hidden
दिल-सोज़ = Passionate
जूनून-ए-बज़्म-ए-जज़्बात = Craziness of a collection of emotions
तहलील = immerse 



Wednesday, December 19

चंद बिखरे अलफ़ाज़



उम्मीद है, शब्-ए-उल्फत गुज़री होगी, खुशनुमा ख्वाब संजोते
सहर की सर्द धुंध में किरण-ए-आफताब न देख पाते, गर हम न होते

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गुजर जाता है वक्त यूँ ही उनकी राह तकते
बीत जाते हैं लम्हें यूँ ही हर आहट पर चौंकते
उन्हें भुला, चल भी पड़े अपनी राह हम अगर
कसक-ए-मोहब्बत न मिटेगी एक भी सांस रहते

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तमन्नओं से महकता है ये तन्हा आलम

वरना हम तो कब के दम तोड़ चुके होते

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हर पल उनकी यादों में जी कर, हर पल, पल पल कर बीता

रोक पाते सुइयों को गर, हर पल होता, पल पल उन संग बीता

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सुर्ख हम भी ओढ़े थे, सुर्ख वो भी ओढें थीं, उसी काफिर के नाम का
फर्क था सिर्फ, सादी सूती चादर, और रेशम पर गोटे के काम का

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रोज नींद पलकों पर दस्तक देती है,
रोज तेरे आगोश की तम्मना होती है,
आँखें मुंदने को होती हैं जैसे ही,
रोज तेरी महक एक पल को सांस रोक देती है...

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पलकों पर तेरा अक्स है, लब पर नाम तेरा
सहर तुझसे शुरू, शब् तुझ पर खत्म होती है
आगोश में ले सकते नहीं तुम्हें हम कभी
ख़्वाबों की दुनिया है ये, यहाँ नज़रों से इबादत होती है

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रब्त



हमकदम बनने की ज़रूरत नहीं, बस अक्स में अक्स समा लेना
तरुफ्फ़ की ज़रूरत नहीं, बस ताल्लुक से ताल्लुक का सिलह देना 

बयाँ-ए-हुज्न्ल की ज़रूरत नहीं, बस आह से आह मिला लेना
इज़हार-ए-कैफ़ की ज़रूरत नहीं, बस तबस्सुम से तबस्सुम सजा देना

चश्म-ए-तर करने की ज़रूरत नहीं, बस आँखों आँखों में समझ लेना
ज़ेब-ओ-ज़ीनत की ज़रूरत नहीं, बस तरसते लबों को लबों से मिला देना 

बाहों के सहारे की ज़रूरत नहीं, बस रूह से रूह मिला लेना
हिसार-ए-शौक की ज़रूरत नहीं, बस लम्हा लम्हा संजो देना 






बयाँ-ए-हुज्न्ल = Expressing Sadness
इज़हार-ए-कैफ़ = Expression of Happiness
तबस्सुम = Smile
तरुफ्फ़ = Introduction
ताल्लुक = Relation
सिलह = Requital, Return, Reward
ज़ेब-ओ-ज़ीनत = Makeup
दहन = Lips
हिसार-ए-शौक = Bonds of Desire
रब्त = Bond






Sunday, December 16

अर्ज़-ए-इनायत


उनके पहलू में बीते कुछ ऐसे पल जो इन शेरोन की ज़ुबानी ज़हन में उतरते चले गए... अर्ज़-ए-इनायत हैं वही चंद शेर...


उन्होंने कुछ यूँ फ़रमाया...


मौत तो सिर्फ नाम से बदनाम है,
वरना तकलीफ तो जिंदगी भी देती है...


हमने कुछ यूँ अर्ज़ किया...

मैय्यत सजी है उसी दोराहे पर, बदनामी का सुर्ख कफन ओढ़े
इस आरजू में सांसें अटकी है, के शायद वो रुकेंगे चादर ओढ़ाने 


उन्होंने अर्ज़ किया...

वो मुझ पर अजीब असर रखता है, 

मेरे अधूरे दिल की हर खबर रखता है,
शायद के हम उसे भूल जाते मगर, 
याद आने के वो सारे हुनर रखता है...


हमने कुछ यूँ जवाब दिया...

यादें तो अक्स हैं बीते हुए खुशनुमा लम्हों की 

कसक-ए-मोहब्बत है उन संग बीते लम्हों की
पूरे हैं या अधूरे हैं हम, हमें इसका इल्म नहीं
है कदर सिर्फ आप संग बीते जुनूनी लम्हों की 


वो कहने लगे...


किसी ने पूछा कैसे हो,
मैंने कहा जी रहा हूँ,
जीने में गम है,
गम में दर्द,
दर्द में मज़ा,
मज़े कर रहा हूँ 


हमने कहा...

दर्द-ए-गम को यूँ तनहाइयों में न गुज़ार ए आशिक...
मैखाने में हम भी हैं बैठे अश्कों का छलकता पैमाना लिए...


वो संगीन हो गए और अर्ज़ किया...


तेरे क़दमों की आहट का आज भी बेताबी से इन्तज़ार है...
सांसें चल रही हैं के अब बस तेरे ख़्वाबों का सहारा है...

हमने उन्हें समझाया के जिंदगी की राहों पर...

उनके क़दमों की आहटों का इन्तज़ार न किया कर 
आँखें मूंदे ख्यालों का सहारा यूँ न लिया कर
दो कदम बढ़ा दस्तक दे उल्फत के दर पर
आगोश में लेंगे वो तुझे, इतना तो ऐतबार किया कर  



उनका जवाब... शब्-ए-उल्फत का एक खूबसूरत पयाम... शब्बखैर!!




Saturday, December 15

लेकिन


आतीत का खुशनुमा मंज़र सजाती है, सहर की यह सर्द धुंध 
यख बस्ताह हैं राहें, लेकिन यादों में फ़स्ल-ए-गुल, अब भी बाक़ी हैं

शब्-ए-उल्फत उन संग बीती थी जिस तकिये पर सर रख  
गिलाफ बदल गए हैं, लेकिन ख़्वाबों के निशान, अब भी बाक़ी हैं

उसी लिहाफ-ए-चाहत में लिपट सो रहे हैं एक अरसे से हम 
गदला गया है, लेकिन उनकी साँसों की महक, अब भी बाक़ी है 

चादर-ए-महताब सौ मर्तबा धुल ज़र्र ज़र्र हो चुकी है  
लेकिन उस पर छलकी कॉफ़ी के दाग, अब भी बाक़ी हैं 

लेते हैं हम रोज उसी एक कप से गर्म चाय की चुस्कियां 
लेकिन उनके होंठों के निशान उस पर, अब भी बाक़ी हैं 

बायीं तरफ नज़र घुमाते हैं, तो उनका साथ नहीं है 
लेकिन उनके नर्म सीने का एहसास, अब भी बाक़ी है 

आतिशीन पल बीत चुके हैं, कभी न वापस आने के लिए 
इस ज़हन में लेकिन, तपिश-ए-मोहब्बत, अब भी बाक़ी है 

आब-ए-तल्ख़ सौगात में दे, मजबूरन राहें बदल गए हैं वो 
हमारे ख्यालों में लेकिन, उनकी मुस्कुराहटें, अब भी बाक़ी है

संग है तनहाइयों में, सिर्फ मोहब्बत आमेज़ अक्स उनका
लेकिन उनकी निगाहों से छलके, उन्स की कशिश, अब भी बाक़ी है

उन्हें पाने की तड़प लिख गयी है, रोम रोम में नाम उनका
साथी बदल गए हैं लेकिन, हसरत-ए-उल्फत अब भी बाक़ी है

राह-ए-हयात पर हैं हम किसी और को आगोश में लिए
लेकिन उनके आगोश की कसक, सीने में दफन, अब भी बाक़ी है

इज़हार-ए-उल्फत किया है अर्ज, हर किस्म से कई मर्तबा उनसे
लेकिन नावेद-ए-अजल से पहले, एक आखिरी पैगाम, अब भी बाक़ी है  




यख बस्ताह = Frozen, Ice Bound
गदला = Muddy

फ़स्ल-ए-गुल = Spring
उन्स = Affection, Love, Attachment
आब-ए-तल्ख़ = Tears
मोहब्बत आमेज़ = Loving
राह-ए-हयात = Road of Life
इज़हार-ए-उल्फत = Expressed love
कई मर्तबा = Many Times
नावेद-ए-अजल = Death's Call


Thursday, December 13

वही लोग




कौन है खुदा या क्या है खुदाईइसका हमें ज़रा भी इल्म नहीं  
आकें काबलियत या दें कज़ा तुम्हें, इतनी भी कुर्बत हम में नहीं
दावा था तुम्हारा के दानवीर हो तुम, हमारी तरह खुदगर्ज़ नहीं  
तुमसे मिले सौगात-ए-दर्द को नकारें, इतने भी बे-गैरत हम नहीं   


बेगुनाही का बोझ है काँधे पर, मगर आह-ए-गर्दिश भरते नहीं
इलज़ाम-ए-दगा लगा है वफ़ा पर, मगर सेल-ए-नज़र छलकाते नहीं 
तरीक-ए-हयात की राह चल रहे हैं, मगर हर कदम आह भर सकते नहीं
मुस्कराहट पर कुर्बान हैं सब अरमां, पलकों पर तेरी अश्क देख सकते नहीं 


बिसात-ए-जिंदगी है ये, शतरंज-ए-इश्क में हमराज़ हमसफर बन सकते नहीं
मिली है सौगात-ए-जिंदगी तुझे दोबारा, मुहाहिद हो दगा हम कर सकते नहीं
खुदगर्ज़ होते हम उस वक्त गर, तो तेरे दामन में शब्-ए-उल्फत आज होती नहीं
तुझे छोड़ तन्हाई को हमसफ़र बना, सिसक सिसक अश्कों में फना हम होते नहीं


अपनी परछाईं से परे हो सोच ए-काफिर, इश्क न होता तो तेरा अक्स हम यूँ संजोते नहीं
तेरे हर रोम हर ख़याल से वाकिफ हैं, पर राज़-ए-हयात हम फाश कभी कर सकते नहीं 
दुआ है क़दमों में तेरे न हो दलदल कभी, पर अपनी यादों को दफन हम कर पाएंगे नहीं  
तेरी लिखी नज़्म-ए-नफ़रत पढ़ कर भी, खुशियों को तेरी कफ़न ओढ़ा कर जाएँगे नहीं 


   

Wednesday, December 12

जाने


कोमल लबों का हिलना ही क़यामत ढा जाता है
जाने होगा क्या हश्र-ए-हयात जब वो मुस्कुरायेंगी
पलकों का झुकाना ही धड़कनों को थामे देता है
जाने होगा क्या हाल जब वो नैनों से नैन मिलाएंगी

उनके क़दमों की आहट धड़कन तेज कर जाती है
जाने होगी कैसी कैफियत जब वो करीब आती नज़र आयेंगी
समां में बसी उनकी महक कई ख्वाईशें जगा जाती है
जाने होगा क्या अंजाम-ए-उल्फत जब वो करीब आएँगी    

छम छम करती पायल एक मधुर समां बाँध जाती है
जाने होगा कैसा आलम जब वो नगमा-ए-जान बन जाएंगी
चूड़ियों की खनखनाहट आतिशीन अरमां जगा जाती है
जाने होगा कैसा वो करार जब वो आगोश में समायेंगी   

सिन्दूर की रंगत शफक-ए-वफ़ा की राह दिखा जाती है 
जाने होगा कैसा मंज़र जब वो हमकदम बन राह सजाएंगी  
हिना का गहरा रंग उनके ख़्वाबों का अक्स दिखा जाता है 
जाने होगी कैसी वो तस्वीर जब वो नक्श-ए-ख्वाब बनायेंगी 

घूंघट में छुपा चाँद रोम रोम उजला कर जाता है
जाने होगी कैसी वो शब् जब वो घूंघट उठाएंगी
ज़र-ए-लब से लिया नाम कुरबतें जगा जाता है
जाने होगी कैसी वो नज़्म जब वो रूह में समा जाएंगी



Sunday, December 9

आज फिर


एक भूली दास्ताँ, आज फिर याद आ गयी


उनकी कही हर बात, आज फिर याद आ गयी 

उनसे हुई हर मुलाकात, आज फिर याद आ गयी 
उनकी निगाहों की चमक, आज फिर याद आ गयी  
उनके लबों की मुस्कराहट, आज फिर याद आ गयी
उन संग बिताई खुशियाँ, आज फिर याद आ गयी 

एक भूली दास्ताँ, आज फिर याद आ गयी


उनके आगोश की हरारत, आज फिर याद आ गयी

उनकी हर छोटी बड़ी शरारत, आज फिर याद आ गयी 
उनके लबों की नम गर्म छुअन, आज फिर याद आ गयी
उनकी हर दिल-सोज़ अदा, आज फिर याद आ गयी
उन संग बिताई आतिशीन शामें, आज फिर याद आ गयी  

एक भूली दास्ताँ, आज फिर याद आ गयी

उनके वजूद से निकली रूह झुलसाती लू, आज फिर याद आ गयी
उनकी सुर्ख आँखों से टपकती मई की तपन, आज फिर याद आ गयी
उनके दामन से छटकते तडपते दिल की आह, आज फिर याद आ गयी 
उनसे हमेशा के लिए बिछड़ जाने की वो घड़ी, आज फिर याद आ गयी 
उनके साये संग बिताई वो ग़मगीन स्याह रात, आज फिर याद आ गयी 

एक भूली दास्ताँ, आज फिर याद आ गयी...

एक भूली दास्ताँ, आज फिर याद आ गयी!!



Saturday, December 8

फना



आशकारा निगाहों से छलकती हसरतें संजो न पाए वो 
झुकी हुई पलकों की इबारत को महसूस कर न पाए वो 
मुतवक्की नज़रों से तकते रहे राह-ए-उल्फत  
आब-ए-चश्म में झलकता, अपने ही अक्स को देख न पाए वो

थरथराते लबों की मुस्कराहट का अर्थ समझ न पाए वो 
आतिशीन रुखसार की तपन को महसूस कर  पाए वो 
दिल-दोज़ आहों की तपिश लबों को सुर्ख कर गई 
महराब-ए-जान पर तराशे, अपने ही नाम को पढ़ न पाए वो 

चलते थमते इन क़दमों की आहट सुन न पाए वो  
आगोश-खुशा बाहों की कसक महसूस कर  पाए वो
रूह-ए-मोहब्बत को तन्हाइयों में भटकता छोड़ 
दायरों में कैद हुए यूँ, अपनी ही रूह की गूँज सुन  पाए वो 

खामोश लफ़्ज़ों में बयाँ नज़्म को ज़हन में समा न पाए वो 
दर्द-ए-दिल की तड़प को महसूस कर  पाए वो 
आब-ए-तल्ख़ के दरिया में डूबते चले गए हम
जुदा हो, खुद को भी फना होने से रोक न पाए वो 





आशकारा = Clear
मुतवक्की = Hopeful
रुखसार = Cheeks







Friday, December 7

असमंजस/Dilemma


On a reader's request... I have tried to translate / recreate the punch with this translation in English... Some lines have been deliberately jumbled to maintain a sequence... Dunno how far I have succeeded... Any corrections / suggestions will be most welcome... :)



स्वर्ग में लिखी या कही गयी जुबानी                          written in heaven or recited on earth
है हर किसी की यही अमर कहानी                            this is everyone's life's immortal tale
धरती पर सुलगाई गयी चिंगारी                               ignitin' the spark of love on earth
जाओ बगैर चालें जाने खेलो ये पारी                          prompting all to play a game ignorant of rules
चाहें मिया बीवी हों या न हों राज़ी                            groom's or bride's will no longer matters
दोहराना पड़ेगा वही जो कहेगा क़ाज़ी                         they're forced to repeat whatever priest chatters

असमंजस में है बेचारा भगवान                               sadly, even God's confused in times like today
ढूंढ रहा किधर है राम, कौन है हैवान                        appalled by changin' relationships day-by-day
चकित है रोज बदलते रिश्तों के कारण                       faced with a dilemma, whom to give the bride away
बूझ रहा किस सीता को किसे करे कैसे अर्पण                searchin' for the perfect man masked by a devil in play 

शतरंज की इतनी बड़ी बिसात पर चलते                      staring at the enormous chessboard of life 
जोड़-तोड़ गुण-गणित की चालें सोचते                       God's manipulating, calculating moves to survive
सुलझाते वही एक झोल बारमबार                             trying to resolve same issues time 'n again
अस्तव्यस्तता में गुम हो आखिरकार                          losing focus in chaotic disorderliness's pain
निम्न दो पंक्तियों को ही दे पाता है तूल                       delving in 'n weighing all pros 'n cons,
                                                                 he spells out a universal verdict with gloating pride, 
                                                                
"लंगूर हाथ हूर", "बबून संग जूही का फूल" "                 let there always be a baboon...
                                                                 "...holding a jasmine flower" or            
                                                                 "...with a nymph standing by his side"!!







Thursday, December 6

तमन्ना



"तमन्ना" में लिखे हर शेर का अंदाज़-ए-बयाँ दो जुदा तमन्नाओं के सलीकों से रूबरू कराता है... 
...कसक-ए-मोहब्बत से जागी अधूरी तमन्नाएँ
...कनात-ए-मोहब्बत से जन्मी आतिशीन तमन्नाएँ



आज थमे कदम उनकी ओर बढ़ाने की तमन्ना है 
आज आगोश में उनके शब् बिताने की तमन्ना है 

आज चश्म-ए-तर पलकों पर ख्वाब सजाने की तमन्ना है

आज अक्स-ए-जिगर को आइना दिखने की तमन्ना है  

आज लब-ए-खामोश से उन्हें पुकारने की तमन्ना है 

आज महराब-ए-जान में उन्हें छुपाने की तमन्ना है 

आज एक काफिर को हमराज़ बनाने की तमन्ना है 

आज एक आशिक संग महफ़िल सजाने की तमन्ना है 

आज उन्हें नजराना-ए-मोहब्बत भेजने की तमन्ना है 

आज उनसे रूह-ए-मोहब्बतनामा पाने की तमन्ना है

आज रूह-ए-काफिर में खो खुद को पाने की तमन्ना है 

आज राह-ए-उल्फत में सब भूल जाने की तमन्ना है 

आज बीते हसीन लम्हों को दोहराने की तमन्ना है 

आज यादों में बसी खुशबुओं में सामाने की तमन्ना है


आज लब-ए-ताश्ना की प्यास बुझाने की तमन्ना है 

आज पैमाना-ए-मोहब्बत में डूब जाने की तमन्ना है 

आज पश्मिनाई एहसास में सुकून पाने की तमन्ना है 

आज हर आतिशीन जज़्बे में फना होने की तमन्ना है 






Wednesday, December 5

असमंजस



स्वर्ग में लिखी या कही गयी जुबानी
है हर किसी की यही अमर कहानी
धरती पर सुलगाई गयी चिंगारी 
जाओ बगैर चालें जाने खेलो ये पारी
चाहें मिया बीवी हों या न हों राज़ी
दोहराना पड़ेगा वही जो कहेगा क़ाज़ी

असमंजस में है बेचारा भगवान
ढूंढ रहा किधर है राम, कौन है हैवान
चकित है रोज बदलते रिश्तों के कारण
बूझ रहा किस सीता को किसे करे कैसे अर्पण




शतरंज की इतनी बड़ी बिसात पर चलते
जोड़-तोड़ गुण-गणित की चालें सोचते
सुलझाते वही एक झोल बारमबार
अस्तव्यस्तता में गुम हो आखिरकार
निम्न दो पंक्तियों को ही दे पाता है तूल
"लंगूर हाथ हूर", "बबून संग जूही का फूल"






Thursday, November 29

Vicious Circle



life's like a celestial vicious circle

perfect life in a hallucinated encircle
gave you all love's passionate delight
minuscule or manifold without a fight

my soul still whispers your name at times

reminiscing life's fantasies in lonely times
cuddling up to my own self, i remember
an embrace that was once soothing 'n tender

my heart loving your soul without reason
believe me it wouldn't be a cause for treason
clear your conscience 'n infer what's right buddy
don't misread silence, take vantage of simplicity

smothering kinship is what you've always done

its now time to realize who's a pro 'n who's a con
shun "taken for granted" attitude you wear like a glove
treat friends with respect, trust, understanding 'n love

come, let's speak 'n clear matters once 'n for all

hurtful evidence is too much for us both to stall
we certainly aren't victims of our interventions
let's reveal 'n clear up all reasons or intentions

for you i was never a well wisher or soul mate
for me you still are forever friendship's incarnate
praying you don't now mess up your life's makings
weaving your way to me via your soul's workings

falling apart, having lost all love's will
no matter, i'd stand up 'n back you up still
the day you'll realize my worth, honey
you'd have lost me for something so puny

life's a vicious circle of truth 'n lies
both of us hurting our souls as time flies
all that was wrong would haunt us forever
wish fog clears now, not eons later or never




Wednesday, November 28

चाँद-निशा



चाँद-निशा का मेल है अनोखा, शांति और सुकून भरा
ये फूल करेंगे तह-ऐ-दिल से इबादत, हिफाज़त इसकी
सुन्हेरी रूह का न करना तज्कीरह ज़िक्र किसी से कभी
इल्म हुआ हमें इसका अगर, होगा न हमसे ज़िष्त और कोई

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काश के उस चाँद की रोशनी हमें भी रोशन करती 
काश के ज़ुल्मत-ए-शब इस कदर स्याह न होती 
काश के एक तारा ही टिमटिमा रोशन कर देता 
तो दस्तक-ए-सहर-ए-नशात यूँ खौफ-जदा न होती

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ताबिंदा निशा में रोशन चाँद को पाने की आस न रही
ताल-आब-ऐ-चश्म में झलके चाँद को छूने की प्यास न रही
यादों, सौगातों, लम्हों, लफ़्ज़ों को संजो कर रखेंगे हम ताउम्र   
राह-ए-इल्तिफात में उम्मीद की है एक यही नफस-ए-रूह बस रही    

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Tuesday, November 27

Sweet Nothings



the little things you do
sweet nothings your heart says
just make me wonder
where were you all these days

the tender look in your eyes
that says all that's on your mind
the intensity of your embrace
leaves me craving for all i can find

i'm not alone in how i feel
you crave for me more than you show
the endearing call from you
was enough to turn my hearts flow

i know its been a long time
since those enchanting days
reconnecting, we'll find together
for what my heart prays

meetings are far spaced
times are atomic but amazingly perfect 
having faced uncertain times
i know we'll find a beautiful connect


it's now just a matter of time 
before you embrace me once again
awaiting sparking moments till 
i'm engulfed once again in love's rain 



Saturday, November 24

रिश्ते



हर रिश्ता 

लम्हों की एक महफ़िल है 
खुशियों का एक सफ़र है 
ओंस की ठंडी छुअन है 
महकता एक गुलिस्तान है

हर बीता पल इनमें 

कल यादों का एक कारवाँ होगा
गुज़रे वक़्त का एक धुंधलाता हर्फ़ होगा 
ग़मों के स्याह दामन में एक आसरा होगा
राहों की वीरानियों में एक नखलिस्तान होगा

उनकी महक, आगोश उनका 

उनकी मोहब्बत, साथ उनका 
आज है, न होगा पास कल 
ये लम्हें, ये यादें, ये पल 
यादें बन गुज़र जाएंगे
हम तुम दोनों पल दर पल

एक इल्तेजा, एक गुजारिश है 

संजो कर रखें जो है पास आपके
आगोश में लें उसे जो है करीब आपके 
शक न करें उन पर जो हैं सिर्फ आपके
खूबसूरत है हर रिश्ता जो है दायरे में आपके


गुज़र जाएगा हर सफ़र नजराना तकते

गुबार-ए-कारवाँ में आशकारा राह तकते 
और...
ये लम्हों का काफिला... कल यहाँ न होगा
ये यादों का कारवाँ... कल यहाँ न होगा     


It Hurts When



It hurts when 
life's a dilemma
'n love's a mirage
It hurts when 
a beautiful painting
turns to a tattered collage

It hurts when 
glancing over your shoulder
you find lonely footsteps
It hurts when 
you look ahead expectantly
'n find no ones footsteps

It hurts when 
you spread your arms
'n they touch no one
It hurts when 
you cry out your heart aloud
'n the sound reaches no one

It hurts when 
realization dawns 
that you've tread the past alone
It hurts when 
towards a lonely tomorrow
you walk alone

It hurts when 
those you loved 
have gone their way
It hurts when 
all they have for you
are hurtful words to say

It hurts when 
you are insecure
unable to love or trust
It hurts when 
a loved one's gifted you 
searing mistrust


It hurts when 
your soul refuses 
to disconnect
It hurts when 
your heart 'n soul
simply can't reconnect


It hurts when 
search for a companion
ends in finding none
It hurts when 
love is all you want
'n holding you is NO ONE...




Friday, November 23

काश



ख्वाईशें कुछ ऐसी
अरमान कुछ ऐसे 
मंजिलें कुछ ऐसी 
ख्वाब कुछ ऐसे
के कुछ समझ न पाए हम

बातें कुछ ऐसी 
इशारे कुछ ऐसे 
राहें कुछ ऐसी 
मुकाम कुछ ऐसे
के कुछ समझ न पाए हम

क्या है ऐसा तुम्हारी इन बातों में 
जो हमें बेचैन करे जाता है 
क्या है ऐसा तुम्हारे आगोश में
जो एक प्यास जगा जाता है 
क्या है ऐसा तुम्हारी मुस्कराहट में
जो हमारी निगाहों में अक्स बना जाता है
क्या है ऐसा तुम्हारी हंसी में
जो हमारी हंसी को खनखना जाता है 

समझ नहीं आता
किस दौर से गुज़र रहे हैं 
समझ नहीं आता
ज़िन्दगी से क्या चाह रहे हैं 
समझ नहीं आता
क्यों इन राहों को तकते हैं 
समझ नहीं आता
क्यों एक आवाज़ को तरसते हैं 
समझ नहीं आता
क्यों नए रिश्ते नहीं बना पाते हैं 
समझ नहीं आता
क्यों किसी को चाहने से डरते हैं 

सुलझाना चाहते हैं 
बहुत कुछ है जो दरमियान
समझना चाहते हैं 
नया है जो हमारे दरमियान
समझाना चाहते हैं 
जो झिझक, डर है दरमियान 
कहना चाहते हैं
साथ दो कुछ समय इस दरमियान 

क्या कहें अब तुमसे 
क्या कहें अब खुद से 
काश के हम समझ पाते 
काश के हम समझा पाते 


काश..........



Life Fundas



Something diferent that sparked up from my whirling mind!!



Rules to consider before getting into Relationships...



  1. Never go to bed with Friends or Friends of Friends
  2. Never go to bed with Friends of Exes or Exes of Friends
  3. Never go to bed with Brother's Friends or Friends' Brothers
  4. Never go to bed with more than one guy from school, college, workplace, etc; Avoid category repetition at all costs.


Understanding Love... 



  1. One person can love One other person for just One reason
  2. One person can love One other person for 100 different reasons
  3. One person can love 100 different persons for just One reason
  4. One person can love 100 different persons for 100 different reasons


Some Eye-Openers...


  1. The proverbial "Love at first sight" is never so... "It always Lust at first Sight"
  2. Love needn't always end in a Physical relationship; and Being in a Relationship doesn't always mean having sex
  3. Love has levels beyond the boundaries of one's thinking and control
  4. Love for a person transcends a spectrum of thoughts and cravings
  5. Loving someone doesn't mean you need to get married ultimately
  6. Never shy from approaching your Ex for a reconnect. They are the ones who have known you through your previous relationship and kept a track post the breakup; they know you better than anyone ever will!!
  7. If your love married someone else by will or under pressure, it doesn't mean u can't continue loving or caring for them or they for you; the love transcends to a different level from thereon... it still remains intact and continues to grow!
  8. Marriage doesn't mean initiation of love... Its lust that kick starts the cart and carries it a distance; trust takes over next; understanding backs up the mechanism; love comes to fore at the fag end of the journey
  9. Last but not the least, Love has nothing to do with the Heart but the workings of your brain!!







KEEP LOVING!!