लफ़्ज़ों के मायने न जाने कब
ख़ामोशी की नज़र हो गए
मुस्कुराते हमसफ़र न जाने कब
तमाशायी बन गुज़र गए
आतिशीं नज़दीकियां न जाने कब
फ़िराक़-ए-जान की नज़र हो गयी
इबादत-ए-इश्क़ न जाने कब
लतीफ़ा-ए-नफ़्स बन गुज़र गयी
ख़ुशबुओं का मंज़र न जाने कब
वीरानियों की नज़र हो गया
बहारों का इंतज़ार न जाने कब
वहशत की सर्द धुंध से गुज़र गया
यादों की तस्वीरें न जाने कब
ख़ुश्क अश्कों की नज़र हो गयी
इंतज़ार-ए-यार में न जाने कब
ज़िन्दगी तन्हां ही गुज़र गयी
फ़िराक़-ए-जान = Distances in Life
लतीफ़ा-ए-नफ़्स = Joke of Life
मंज़र = Scene / Landscape
वीरानियों = Desolation
वहशत = Solitude
ख़ुश्क अश्कों = Dry Tears