पलकों की चिलमन से, सौंधी सी धूप छलक रही है...
यादों से आपकी, हमारी रूह महक रही है...
दिल की जिन गहराईयों में आप बसे हैं,
काश के हम किसी और को बसा पाते...
इश्क में आपके इस कदर डूबे हैं,
काश के हम खुद को उबार पाते...
समाँ है रंगीन, हवाएं दीवानी हो चली हैं,
फिजा-ए-मोहब्बत भी गीत गुनगुना रही है...
हकीकत और ख़्वाब का कोई मेल नहीं,
फिर भी न जाने क्यों यादों को संजोये जा रहे हैं...
रूबरू होने की आस है, उम्मीद किये जा रहे हैं,
आपके दिल का आलम भी हो कुछ ऐसा...
आपकी यादों में हम हो उसी कदर समाये,
जिस तरह दिल है हमारा सराबोर हुआ...
ख्वाबों में बसे हैं आप और यादें हैं कि जाती नहीं,
न कोई पैगाम आया ना मिलन की कोई उम्मीद ही रही...
अब तो सिर्फ यादें हैं आपकी हमारे दिल की वीरानियों में,
जो रह रह कर हमारी रूह को महकाए जा रही है...
पलकों की चिलमन से, सौंधी सी धूप छलक रही है...
यादों से आपकी, आज तक हमारी रूह महक रही है...
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