कोई हम-नफ्स, कोई राजदान नहीं है...
फक्त एक दिल था अपना, वोह भी अब मेहरबान नहीं है...
इश्क है बे-इन्तेहाँ मगर, इतना ज्यादा भी नहीं है...
के फना हों तेरे गम में, यह इरादा भी नहीं है...
राह के इन पथ्थरों पर चल कर आ सको तो आओ...
चूँकि हमारे गलियारों में कहीं कहकशां नहीं है...
देखा करते हैं फिर भी हम सितारों की तरफ क्यों...
इल्म है जब उनसे मुलाकात का कोई वादा भी तो नहीं है...
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