यूँ बिसरी यादों से न पुकारो हमें
के भुलाना मुश्किल हो जाए
यूँ ख़्वाबों में न पुकारो हमें
के जागना मुश्किल हो जाए
यूँ आगोश में ले न जकड़ो हमें
के जुदा होना मुश्किल हो जाए
के तन्हा जीना मुश्किल हो जाए
यूँ झुकी पलकों से न निहारो हमें
के ओझल होना मुश्किल हो जाए
यूँ बेबाक बेपनाही से न चाहो हमें
के अक्स पहचानना मुश्किल हो जाए
यूँ ढुलकते अश्कों में न ढूंढो हमें
के आँखें मूंदना मुश्किल हो जाए
ज़माने के दायरों दफ़न गर पाओ हमें
कहीं हर नफ्स तन्हाँ न हो जाए
No comments:
Post a Comment