निगाहों में सुलगते सवाल कुछ भी हों
अश्कों में जवाब आज भी तुम ही हो
पलकों से बूँदें कितनी भी ढुलकी हों
लबों की मुस्कराहट आज भी तुम ही हो
ग़मों की महफ़िल दामन में सजी हों
खुशियों का पैगाम आज भी तुम ही हो
गिले-शिकवे चाहे कितने भी तुमसे हों
हक़दार-ए-इश्क आज भी तुम ही हो
मन में अरमां जाने कितने उमड़े हों
दिल की आरज़ू आज भी तुम ही हो
बाहों के दरमियान चाहे कोई भी हो
रूमानी ख्यालों में आज भी तुम ही हो
ज़िन्दगी की राहें किस्मत से जुदा हों
मंजिल-ए-जाँ आज भी तुम ही हो
नक्ष-ए-ज़िन्दगी कुछ भी रचा गया हो
ख़्वाबों की ताबीर आज भी तुम ही हो
लबों पर नाम शायद किसी और का हो
दिल की इबादत आज भी तुम ही हो