Thursday, February 28

आज भी



निगाहों में सुलगते सवाल कुछ भी हों
अश्कों में जवाब आज भी तुम ही हो 

पलकों से बूँदें कितनी भी ढुलकी हों 
लबों की मुस्कराहट आज भी तुम ही हो

ग़मों की महफ़िल दामन में सजी हों
खुशियों का पैगाम आज भी तुम ही हो

गिले-शिकवे चाहे कितने भी तुमसे हों 
हक़दार-ए-इश्क आज भी तुम ही हो

मन में अरमां जाने कितने उमड़े हों 
दिल की आरज़ू आज भी तुम ही हो

बाहों के दरमियान चाहे कोई भी हो
रूमानी ख्यालों में आज भी तुम ही हो

ज़िन्दगी की राहें किस्मत से जुदा हों
मंजिल-ए-जाँ आज भी तुम ही हो


नक्ष-ए-ज़िन्दगी कुछ भी रचा गया हो
ख़्वाबों की ताबीर आज भी तुम ही हो

लबों पर नाम शायद किसी और का हो
दिल की इबादत आज भी तुम ही हो 




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