Thursday, May 23

वजूद



राह-ए-दहर पर चल रहे हैं 
ख्यालों का एक हुजूम लिए 
कौन हूँ मैं, क्या हूँ, क्यों हूँ 
सवालों की एक तूफ़ान लिए

दोराहों पर आ कदम थम जाते हैं
सही-गलत की जद्दोजहद लिए
सच है क्या, क्या नहीं, बेख़बर हैं
चल रहे हैं माया का एक भ्रम लिए

हकीकत-ख़्वाबों की कशमकश है
उमड़ता सैलाब-ए-जज़्बा लिए
राह है कौनसी, मंजिल है कहाँ
वजूद क्या है, ये सोज़ सवाल लिए

निगाहें तलाशती हैं आज भी वो दामन
आगोश-ख़ुशा है जो नफ़स-ए-सुकून लिए
काश के थमे होते कदम उस पड़ाव पर
ठहरा है जो उसी मोड़ पर दास्ताँ-ए-हसरत लिए 


हुजूम = Crowd
जद्दोजहद = Dilemma
सैलाब-ए-जज़्बा = Storm of Emotions
सोज़ = Burning
आगोश-ख़ुशा = Waiting to Embrace
नफ़स-ए-सुकून = Peaceful Breath
दास्ताँ-ए-हसरत = Story of Desires







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