Saturday, September 15

सौगात


खामोश हैं दिन, पसरे हैं सर्द सन्नाटे रातों में...
बिखरे हैं लफ्ज़, अफ़साने हैं कुछ बीती बातों में...
इंतेज़ार है सुन्हेरी खुशियों का, गम की इन बरसातों में...
खल्वत-ए-दिल है इबादत, इश्क की सौगातों में...

उम्मीदों का हैं दामन थामे, लंबी सुनसान रातों में...
नवा-ए-इश्क है लबों पररूह-ए-नगमा है दफन बातों में...
इंतेज़ार है उस खुर्शीद-वश का, घन घोर इन बरसातों में...
आह-ए-आतशीं है इबादत, मोहब्बत की सौगातों में...

चाहतों की ख्वाईशें लिए, तकते हैं राहें उनींदी रातों में...
पलकों में छुपा है अक्स, चंचल तस्वीर है खामोश बातों में...
इंतेज़ार है उस महताब का, तूफानी इन बरसातों में...
आब-ए-चश्म का बयार है इबादत, उल्फत की सौगातों में...



खल्वत-ए-दिल = Loneliness of the heart
नवा-ए-इश्क = Voice of love
खुर्शीद-वश = Sun like face
आह-ए-आतशीं = Fiery sigh


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