गर्मियों की तन्हा रातें, बीती बातें याद दिला गयी
बेरुखी की धधकती लू हमारी बेकस रूह जला गयी
आतिश-ए-खामोश सहमी पलकों पर आंसू छलक आये
हर सैल-ए-नज़र ने ढुलकते हुए याद किया, पर तुम न आये...
सब्जे पर ओंस की बूँदें गुल-ए-तर कर गयी
आगोश की चाह नाल-ए-दिल में दफन हो गयी
इश्तिआक़-ए-मोहब्बत के हैं सब ओर फैले रंजीदा साये
हर शब् ख्वाबिदा हो हर लम्हा याद किया, पर तुम न आये...
मिटटी की सौंधी खुशबू वो रात याद दिला गयी
बारिश की बूँदें तन, यादें तुम्हारी मन रुला गयी
थरथराते लबों पर नाम तुम्हारा एक दिल-खराश आह ले आये
हर एक आह में हर आतिशीन पल को याद किया, पर तुम न आये...
दिल-ए-कस्ता में तज्किरह हो तुम आबगीनों में अक्स बनाते आये
राहे-ए-इंतेज़ार चश्म-ए-गिरया की एक कशिश में बीती, तुम फिर भी न आये...
आतिश-ए-खामोश = Smoldering Fire सैल-ए-नज़र = Tears
नाल-ए-दिल = Wailing Heart सब्जे = Meadow
इश्तिआक़-ए-मोहब्बत = Desire for Love ख्वाबिदा = Lost in Dreams
दिल-खराश = Heart Rending आतिशीन = Passionate
दिल-ए-कस्ता = Wounded Heart तज्किरह = Remember, याद
आबगीनों = Water Bubbles चश्म-ए-गिरया = Crying Eyes
कशिश = Strife
No comments:
Post a Comment