Sunday, July 8

एक अरसा...


"एक अरसा"... एक गुज़ारिश है!!

माना दूरियां हुई हैं दरमियान,
अरसा हुआ, नम पलकों की चिलमन से ही दीदार करा दो...

माना पसरे हैं खामोशियों के संगीन दायरे,
अरसा हुआ, बस एक बार सदा-ए-इश्क सुना दो...

छिन गया है मेरा दिल का सब्र-ओ-करार,
अरसा हुआ, आगोश में ले अपने होने की तसल्ली करा दो...

रूबरू होने का इंतज़ार है अब भी,
अरसा हुआ, एक बार हमें नजराना-ए-उल्फत दिखा दो...

खामोश है सुर्ख लबों पर नगमा-ए-जिंदगी,
अरसा हुआ, पायल-ए-उल्फत की मधुर झंकार सुना दो...

दरमियान रहा है बहुत कुछ अनकहा,
अरसा हुआ, एक बार चश्म-ए-जादां में फिर प्यार से समझा दो...

फासले बढते चले गए घड़ी की सुईयों के संग,
अरसा हो गया है बहुत, गुजारिश है एक बार झलक दिखला दो...

.......................................सिर्फ एक बार झलक दिखला दो!!


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