Friday, July 27

यादें...


भूले हुए उन लम्हों की यादें
तुम्हारी याद ताज़ा कर जाती हैं...


रूठना मनाना
हर तकरार का फ़साना याद दिलाती हैं 
दूर हमसे तुम होते हो
पल पल वोह पास हमें ले आती हैं...


भूले हुए उन लम्हों की यादें
तुम्हारी याद ताज़ा कर जाती हैं...


मुस्कुराहटें तुम्हारी
हमारे लबों पर खिल जाती हैं...
नज़रें झुकाएं तो
पलकें अक्स संजोये जाती हैं...


भूले हुए उन लम्हों की यादें
तुम्हारी याद ताज़ा कर जाती हैं...


आगोश-ए-यार की यादें
एक सिहरन सी ले आती हैं...
लबों की वोह छुअन
अश्कों का सैलाब दे जाती हैं...


भूले हुए उन लम्हों की यादें
तुम्हारी याद ताज़ा कर जाती हैं...


पास तुम मेरे नहीं होते हो 
फिर भी करीब वोह हमें ले आती हैं...


भूले हुए उन लम्हों की यादें
तुम्हारी याद ताज़ा कर जाती हैं...


..........याद ताज़ा कर जाती हैं!!




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