रात के सन्नाटे में, अकेले, कुछ ख्याल आये...
रह रह कर जब उनका ख्याल आता है ...
हौले हौले मन मुस्काता है ...
खुश हों लेते हैं हम उनका अक्स देख...
और धीरे धीरे उनसे प्यार हुआ जाता है ...
ज़र्रा ज़र्रा इस रौशनी में ...
महकी महकी एक कशिश सी है...
खो जाते हैं हम उनकी आवाज़ सुन...
और धीरे धीरे उनसे प्यार हुआ जाता है...
सीली सीली से एक ख्वाइश जगी है ...
उन्हे बाहों में लेने की एक खलिश सी है...
दूर से देख सुन खुश हों लेते हैं पर...
क्या करें के धीरे धीरे उनसे प्यार हुआ जाता है...
रह रह कर जब उनका ख्याल आता है ...
हौले हौले मन मुस्काता है ...
खुश हों लेते हैं हम उनका अक्स देख...
और धीरे धीरे उनसे प्यार हुआ जाता है ...
ज़र्रा ज़र्रा इस रौशनी में ...
महकी महकी एक कशिश सी है...
खो जाते हैं हम उनकी आवाज़ सुन...
और धीरे धीरे उनसे प्यार हुआ जाता है...
सीली सीली से एक ख्वाइश जगी है ...
उन्हे बाहों में लेने की एक खलिश सी है...
दूर से देख सुन खुश हों लेते हैं पर...
क्या करें के धीरे धीरे उनसे प्यार हुआ जाता है...
No comments:
Post a Comment