देखती हूँ आसमां के इन बुझे हुए सितारों को,
के मुझे जुगनुओं के आने इंतज़ार है...
खुशियाँ हैं मुझसे कुछ खफा खफा,
के मुझे सहर-ए-जिंदगी के आने इंतज़ार है...
हुजूम सा है लोगों का मेरे चारो ओर,
के मुझे एक हम-नफ्स, एक राज़दां के आने इंतज़ार है...
तकती हूँ जिंदगी की इस बेचैन राह को,
के मुझे उनकी आहटों के होने का इंतज़ार है...
सोचती हूँ कि मेरी जिंदगी तो बस एक राह है,
के मुझे मंजिलों के करीब आने का इंतज़ार है...
न जाने क्या है जो न पाया, या जो खो गया है,
या के शायद मुझे अपने ही आने का इंतज़ार है....
...मुझे अपने ही आने का इंतज़ार है...
के मुझे जुगनुओं के आने इंतज़ार है...
खुशियाँ हैं मुझसे कुछ खफा खफा,
के मुझे सहर-ए-जिंदगी के आने इंतज़ार है...
हुजूम सा है लोगों का मेरे चारो ओर,
के मुझे एक हम-नफ्स, एक राज़दां के आने इंतज़ार है...
तकती हूँ जिंदगी की इस बेचैन राह को,
के मुझे उनकी आहटों के होने का इंतज़ार है...
सोचती हूँ कि मेरी जिंदगी तो बस एक राह है,
के मुझे मंजिलों के करीब आने का इंतज़ार है...
न जाने क्या है जो न पाया, या जो खो गया है,
या के शायद मुझे अपने ही आने का इंतज़ार है....
...मुझे अपने ही आने का इंतज़ार है...
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