Saturday, December 15

लेकिन


आतीत का खुशनुमा मंज़र सजाती है, सहर की यह सर्द धुंध 
यख बस्ताह हैं राहें, लेकिन यादों में फ़स्ल-ए-गुल, अब भी बाक़ी हैं

शब्-ए-उल्फत उन संग बीती थी जिस तकिये पर सर रख  
गिलाफ बदल गए हैं, लेकिन ख़्वाबों के निशान, अब भी बाक़ी हैं

उसी लिहाफ-ए-चाहत में लिपट सो रहे हैं एक अरसे से हम 
गदला गया है, लेकिन उनकी साँसों की महक, अब भी बाक़ी है 

चादर-ए-महताब सौ मर्तबा धुल ज़र्र ज़र्र हो चुकी है  
लेकिन उस पर छलकी कॉफ़ी के दाग, अब भी बाक़ी हैं 

लेते हैं हम रोज उसी एक कप से गर्म चाय की चुस्कियां 
लेकिन उनके होंठों के निशान उस पर, अब भी बाक़ी हैं 

बायीं तरफ नज़र घुमाते हैं, तो उनका साथ नहीं है 
लेकिन उनके नर्म सीने का एहसास, अब भी बाक़ी है 

आतिशीन पल बीत चुके हैं, कभी न वापस आने के लिए 
इस ज़हन में लेकिन, तपिश-ए-मोहब्बत, अब भी बाक़ी है 

आब-ए-तल्ख़ सौगात में दे, मजबूरन राहें बदल गए हैं वो 
हमारे ख्यालों में लेकिन, उनकी मुस्कुराहटें, अब भी बाक़ी है

संग है तनहाइयों में, सिर्फ मोहब्बत आमेज़ अक्स उनका
लेकिन उनकी निगाहों से छलके, उन्स की कशिश, अब भी बाक़ी है

उन्हें पाने की तड़प लिख गयी है, रोम रोम में नाम उनका
साथी बदल गए हैं लेकिन, हसरत-ए-उल्फत अब भी बाक़ी है

राह-ए-हयात पर हैं हम किसी और को आगोश में लिए
लेकिन उनके आगोश की कसक, सीने में दफन, अब भी बाक़ी है

इज़हार-ए-उल्फत किया है अर्ज, हर किस्म से कई मर्तबा उनसे
लेकिन नावेद-ए-अजल से पहले, एक आखिरी पैगाम, अब भी बाक़ी है  




यख बस्ताह = Frozen, Ice Bound
गदला = Muddy

फ़स्ल-ए-गुल = Spring
उन्स = Affection, Love, Attachment
आब-ए-तल्ख़ = Tears
मोहब्बत आमेज़ = Loving
राह-ए-हयात = Road of Life
इज़हार-ए-उल्फत = Expressed love
कई मर्तबा = Many Times
नावेद-ए-अजल = Death's Call


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