Wednesday, December 19

रब्त



हमकदम बनने की ज़रूरत नहीं, बस अक्स में अक्स समा लेना
तरुफ्फ़ की ज़रूरत नहीं, बस ताल्लुक से ताल्लुक का सिलह देना 

बयाँ-ए-हुज्न्ल की ज़रूरत नहीं, बस आह से आह मिला लेना
इज़हार-ए-कैफ़ की ज़रूरत नहीं, बस तबस्सुम से तबस्सुम सजा देना

चश्म-ए-तर करने की ज़रूरत नहीं, बस आँखों आँखों में समझ लेना
ज़ेब-ओ-ज़ीनत की ज़रूरत नहीं, बस तरसते लबों को लबों से मिला देना 

बाहों के सहारे की ज़रूरत नहीं, बस रूह से रूह मिला लेना
हिसार-ए-शौक की ज़रूरत नहीं, बस लम्हा लम्हा संजो देना 






बयाँ-ए-हुज्न्ल = Expressing Sadness
इज़हार-ए-कैफ़ = Expression of Happiness
तबस्सुम = Smile
तरुफ्फ़ = Introduction
ताल्लुक = Relation
सिलह = Requital, Return, Reward
ज़ेब-ओ-ज़ीनत = Makeup
दहन = Lips
हिसार-ए-शौक = Bonds of Desire
रब्त = Bond






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