आशकारा निगाहों से छलकती हसरतें संजो न पाए वो
झुकी हुई पलकों की इबारत को महसूस कर न पाए वो
मुतवक्की नज़रों से तकते रहे राह-ए-उल्फत
आब-ए-चश्म में झलकता, अपने ही अक्स को देख न पाए वो
थरथराते लबों की मुस्कराहट का अर्थ समझ न पाए वो
आतिशीन रुखसार की तपन को महसूस कर न पाए वो
दिल-दोज़ आहों की तपिश लबों को सुर्ख कर गई
महराब-ए-जान पर तराशे, अपने ही नाम को पढ़ न पाए वो
चलते थमते इन क़दमों की आहट सुन न पाए वो
आगोश-खुशा बाहों की कसक महसूस कर न पाए वो
रूह-ए-मोहब्बत को तन्हाइयों में भटकता छोड़
दायरों में कैद हुए यूँ, अपनी ही रूह की गूँज सुन न पाए वो
खामोश लफ़्ज़ों में बयाँ नज़्म को ज़हन में समा न पाए वो
दर्द-ए-दिल की तड़प को महसूस कर न पाए वो
आब-ए-तल्ख़ के दरिया में डूबते चले गए हम
जुदा हो, खुद को भी फना होने से रोक न पाए वो
आशकारा = Clear
मुतवक्की = Hopeful
रुखसार = Cheeks
awesome...
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