Thursday, December 6

तमन्ना



"तमन्ना" में लिखे हर शेर का अंदाज़-ए-बयाँ दो जुदा तमन्नाओं के सलीकों से रूबरू कराता है... 
...कसक-ए-मोहब्बत से जागी अधूरी तमन्नाएँ
...कनात-ए-मोहब्बत से जन्मी आतिशीन तमन्नाएँ



आज थमे कदम उनकी ओर बढ़ाने की तमन्ना है 
आज आगोश में उनके शब् बिताने की तमन्ना है 

आज चश्म-ए-तर पलकों पर ख्वाब सजाने की तमन्ना है

आज अक्स-ए-जिगर को आइना दिखने की तमन्ना है  

आज लब-ए-खामोश से उन्हें पुकारने की तमन्ना है 

आज महराब-ए-जान में उन्हें छुपाने की तमन्ना है 

आज एक काफिर को हमराज़ बनाने की तमन्ना है 

आज एक आशिक संग महफ़िल सजाने की तमन्ना है 

आज उन्हें नजराना-ए-मोहब्बत भेजने की तमन्ना है 

आज उनसे रूह-ए-मोहब्बतनामा पाने की तमन्ना है

आज रूह-ए-काफिर में खो खुद को पाने की तमन्ना है 

आज राह-ए-उल्फत में सब भूल जाने की तमन्ना है 

आज बीते हसीन लम्हों को दोहराने की तमन्ना है 

आज यादों में बसी खुशबुओं में सामाने की तमन्ना है


आज लब-ए-ताश्ना की प्यास बुझाने की तमन्ना है 

आज पैमाना-ए-मोहब्बत में डूब जाने की तमन्ना है 

आज पश्मिनाई एहसास में सुकून पाने की तमन्ना है 

आज हर आतिशीन जज़्बे में फना होने की तमन्ना है 






No comments:

Post a Comment