Thursday, December 27

बज़्म



लम्हा लम्हा विसाल-ए-यार की आरज़ू करते रहे हम

पल पल उन्हें आगोश में लेने की ख्वाइश करते रहे हम
अहद-ए-गुज़िश्ता की याद-ए-गिर्दाब में ख्वाबिदा हो 
झिझकती हुई निगाहों से उन्हें घर्क-ए-ज़हन करते रहे हम


रह रह चश्म-ए-नम से छलकती शरारत को संजोते रहे हम 
एक एक नफ्स पर उनके लफ़्ज़ों से नगमें सजाते रहे हम 
नज़रों से नज़रें जो मिली आज उनसे उन्हीं के दर पर
लरज़ते अधरों से नज़्म-ए-मोहब्बत गुनगुनाते रहे हम 


रुक रुक कर हौले से हर कदम दायरे उलांघते रहे हम 
हौले हौले सुर्ख होते रुखसार को हिजाब ओढाते रहे हम
झुकी पलकों से पोशीदा दिल-सोज़ अरमानों की झलक देख 
जूनून-ए-बज़्म-ए-जज़्बात में तहलील होते रहे हम





विसाल-ए-यार = Meeting with a lover 
रफ्ता = Slowly
घर्क-ए-ज़ेहन = Absorb in self
नफ्स = Breath
अहद-ए-गुज़िश्ता = Bygone Days
याद-ए-गिर्दाब = Whirlpool of memories
लरज़ते =Trembling
अधरों = Lips 
नज़्म-ए-मोहब्बत = Song of Love
रुखसार = Cheeks
पोशीदा = Hidden
दिल-सोज़ = Passionate
जूनून-ए-बज़्म-ए-जज़्बात = Craziness of a collection of emotions
तहलील = immerse 



No comments:

Post a Comment