समेट लो इन मुस्कुराहटों को
जाने ये खनखनाहट कल हो न हो
हुए सजे कहकहे लबों पर कल अगर
जाने निगाहों में उस हंसी का अक्स हो न हो
समेट लो लबों से झरते ये मोती
जाने ये सीप कल पास हो न हो
हुई भी ये सीप बैहर तले कल अगर
जाने पिरोने के लिए सुईं और रेशम हो न हो
समेट लो ये खुशियाँ दामन में
जाने ये रेशमी चूनर कल हो न हो
हुए भी थे राज़-ए-निहां कल अगर
जाने हिजाब-ए-इश्क ओढ़े हमकदम हो न हो
समेट लो प्यार की फुहारों को
जाने ये बौछारें कल हों न हों
हुए थे बुलबुलों में कल शामिल अगर
जाने फिर कभी वो महकता आलम हो न हो
समेट लो इन हसीन पलों को
जाने ये लम्हें कल हों न हों
हुए भी ये लम्हें कल साथ अगर
जाने उन रूमानी पलों में हम शामिल हों न हों
समेट लो इन यादों को निगाहों में
जाने ये चिलमन कल हो न हो
हुई तब ये पलकें खुली भी अगर
जाने इस तड़पते ज़हन में सांसें बरकरार हों न हों
राज़-ए-निहां = Hidden Secrets
हिजाब-ए-इश्क = Veil of Love
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